अहमात्मा गुडाकेश सर्वभूताशयस्थित:!
अहमादिश्व् मध्यं च भूतानामन्त एव च !!
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हे अर्जुन !मै सर्व भूतोके हदयमें स्थित सबका आत्मा हूँ
तथा सम्पूण भूतोका आदि ,मध्य और अंत भी मै ही हूँ .
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