सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं सरणं व्रज !
अहं त्वा सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुचः !!
हे पार्थ तू सभी धर्मोंको अर्थात सम्पूर्ण कर्मोके कर्मोके आश्रयको
त्यागकर केवल एक मुज़ मुझ सच्च्चिदानन्दघघन परमात्माकी
शरणमे आ जाओ मैं ट्रेक तेरेको सम्पूर्ण पापोंसे मुक्त कर दूँगा
-श्री मद् भगवदगीता
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