अनन्यश्विन्तय्न्तो मां ये जना :पर्युपासते !
तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम् !!
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* जो अनन्य भावसे मेरेमें स्थित हुए भक्तजन मुझ
परमेश्वरको निरंतर चिन्तन करते हुए ,निष्काम भावसे
भजते है ,उन नित्य एकीभावसे मेरेमें स्थितिवाले पुरुषों का
योग क्षेम मै स्वयं प्राप्त कर देता हूँ !!
.........श्री मद् भगवद् गीता ......
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